पाचन तंत्र को सक्रिय करने के लिए कुछ आसन और प्रयोग
पाचन तंत्र को सक्रिय करने के लिए कुछ आसन और प्रयोग
पाचन तंत्र में अशुद्धियाँ मुँहासे, कैंसर, अल्सर, यकृत की समस्याएं और गुर्दे की समस्याओं जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। पाचन तंत्र को विषहरण करने के लिए शंख प्रक्षालन नामक प्राचीन हठ योग अभ्यास की सिफारिश की जाती है। संबंधी अल्सर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों वाले लोगों को इस अभ्यास से बचना चाहिए।
यह प्रक्रिया सप्ताहांत में की जानी चाहिए।
सबसे पहले 2 लीटर पानी में नमक डालकर उबालें, इसे शरीर के तापमान तक ठंडा होने दें और सुबह इसे पी लें।
आसन गतिशील रूप से प्रत्येक छह बार करें:
1. ताड़ासन
ताड़ासन की विधि - सबसे पहले जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं। आपने दोनों पैर को आपस में मिलाकर और दोनों हथेलियों को अपने बगल में रखें। फिर पूरे शरीर को स्थिर रखें और दोनों पैरों पर अपने शरीर का वजन सामान रखें। उसके बाद दोनों हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर ले जाएं। हथेलियां सीधी रखें, फिर सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचिए। इससे आपके कंधों और छाती में भी खिंचाव आएगा।
इसके साथ ही पैरों की एड़ी को भी ऊपर उठाएं और पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बनाए रखिए। इस स्थिति में कुछ देर रहें। कुछ देर रुकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं। इस आसन को प्रतिदिन 10-12 बार कर सकते हैं।
2. वक्रासन
वक्रासन की विधि - सिर को बाईं ओर मोड़ लें और दाहिने हाथ को बाएं पैर के ऊपर ले आएं। अब दाहिने हाथ को बाएं पैर के अंगूठे के ऊपर रखना चाहिए। बाएं हाथ को शरीर को सहारा देने के लिए पीछे रखें। इस मुद्रा में सामान्य सांस लेते रहें और इस आसन में कम से कम 30 सेकंड तक ऐसा करें।
3. चक्रासन
चक्रासन की विधि - चक्रासन योग का अभ्यास अपेक्षाकृत कठिन माना जाता है। इसे करने के लिए विशेष पारंगत होना आवश्यक है वरना इससे चोट का खतरा हो सकता है। इस अभ्यास को किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करने की सलाह दी जाती है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं फिर घुटनों को मोड़ें और एड़ी को जितना हो सके अपने नितंब के पास लाएं।
4. भुजंगासन
भुजंगासन की विधि - दोनों हाथ, दोनों कंधो के बराबर नीचे रखें तथा दोनों कोहनियों को शरीर के पास रखें। लंबी गहरी श्वास लेते हुए धीरे से मस्तक, फिर छाती और बाद में पेट को उठाएँ। अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर को पीछे की ओर खीचें। दोनों बाजुओं पर भार देते हुए संतुलन बनाएं।
आसन के अभ्यास के बाद दो गिलास पानी पियें। जब आवश्यक हो तब मल त्यागें और प्रक्रिया फिर से शुरू करें। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक साफ पानी खाली नहीं हो जाता। इसके बाद शवासन में ठीक से आराम करें लेकिन सोने से बचें। क्रिया के बाद पीली मूंग दाल, चावल, घी और चुटकीभर हल्दी से बनी खिचड़ी खाएं।
अगले दो दिनों तक बिना मसाले और प्याज, लहसुन की उबली सब्जियां ही खाएं। तेल, फल, छाछ, नींबू पानी और पतला दूध से बचें। इस क्रिया का अभ्यास हर छह महीने में एक बार या साल में एक बार करें। शरीर को डिटॉक्स करने के बाद स्वस्थ और रेशेदार भोजन खाने पर ध्यान दें। यदि प्रक्रिया के दौरान अस्वस्थता महसूस हो तो इसे तुरंत रोक दें और शरीर को आराम दें।
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